bhairav kavach for Dummies
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विरचरन्त्यत्र कुत्रापि न विघ्नैः परिभूयते।
भैरवं कवचं ब्रूहि यदि चास्ति कृपा मयि ॥ १॥
साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।
प्रयत्नतः पठेद् यस्तु तस्य सिद्धिः करे स्थिता ॥ ७॥
एष सिद्धिकरः सम्यक् किमथो कथयाम्यहम् ॥ ३॥
नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे।
यः पठेच्छृणुयान्नित्यं धारयेत्कवचोत्तमम् ॥ २२॥
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।
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